जानिये केदारनाथ को जागृत महादेव क्यों कहा जाता है, एक सच्चे शिव भक्त की सत्य कथा
केदारनाथ धाम के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे यह देवों के देव महादेव का पवित्र और बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंगों में से एक है, ज्योतिर्लिंग का अर्थ है जिस शिवलिंग में स्वयं भगवान शिव की ज्योति विद्यमान है। क्या आपको पता है की केदारनाथ को जागृत महादेव भी कहा जाता है। केदारनाथ को क्यों कहा जाता हैं जागृत महादेव, क्या इसके पीछे कोई दैवीय घटना है या कोई सत्य कथा। आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे की केदारनाथ को क्यों कहा जाता हैं जागृत महादेव।
एक सच्चे शिव भक्त की कहानी
यह एक सच्चे शिव भक्त की सत्य कथा है यह वाक़या केदारनाथ धाम में हुआ था। बहुत समय पहले की बात है जब हमारे देश में बस और ट्रैन की अच्छी सुविधा उपलब्ध नहीं थी अगर किसी को सफर करना होता था तो धनवान लोग बैल गाडी व घोड़े का सहारा लेते थे लेकिन गरीब लोगों के लिए पैदल यात्रा करना ही एकमात्र उपाय था। उसी समय एक निर्धन शिव भक्त ने भगवान केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्रण किया और पैदल यात्रा आरम्भ कर दी रास्ते में लोगों से पूछ-पूछ कर वह केदारनाथ धाम की ओर बढ़ने लगा मन में शिव दर्शन की इक्षा लिए वह हमेशा भगवान शिव का ही स्मरण करता रहा उसके घर से केदारनाथ धाम काफी दूर था सफर करते करते 2 महीने बीत गए जब वह केदारनाथ पहुँचा तब उस समय वहाँ पर बर्फ पड़ रही थी और ऐसा लग रहा था की मंदिर बंद है और वहाँ कोई भी नहीं है।
6 माह के लिए खुलते है और 6 माह बंद रहते है केदारनाथ मंदिर
आपको यह बता दें की केदारनाथ धाम के पट 6 महीने के लिए खुलते हैं और 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं जब केदारनाथ धाम में बर्फ पड़ने लगती है तो मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। वह निर्धन शिव भक्त जब केदारनाथ धाम पहुँचा तो वहाँ बर्फ पड़ने लगी थी और ठण्ड के मौसम की बस शुरुआत ही हुई थी। उसने देखा की मंदिर के पुजारी जी मंदिर के पट बंद करके अपने घर जा रहे थे उसने तुरंत उस पुजारी जी से आग्रह किया की उसे एक बार केदारनाथ महादेव के दर्शन करने दिया जाए पुजारी जी ने उससे कहा की बेटा अब मंदिर के पट तो 6 महीने के बाद ही खुलेंगे तुम 6 महीने बाद आना ऐसा सुनकर उस शिव भक्त की आँखों में आँशु आ गए और मन ही मन वह बहुत दुखी हो गया। उसने फिर से आग्रह किया और पुजारी जी के पैर पकड़ लिए और गिड़गिड़ाते हुए बोला मैं बहुत दूर से आया हूँ। 2 महीने पैदल चलकर और जगह-जगह रुक-रुक कर। मुझे महादेव के दर्शन करने दो पुजारी जी ने उसकी एक न सुनी और उससे कहा अगर दर्शन करना है तो 6 महीने बाद आना या तो यही 6 महीने तक रुक जाओ लेकिन इस ठंड और बर्फ में तुम यहाँ एक रात भी नहीं रुक पाओगे वापस लौट जाओ हम पट नहीं खोल सकते। दोस्तों अगर कोई धनवान व्यक्ति होता तो शायद पट खुल भी सकते थे लेकिन उस निर्धन के लिए कौन पट खोलता पुजारी जी के जाने के बाद निर्धन शिव भक्त निरास होकर मंदिर के बाहर बैठा रो रहा था और एका एक उसने यह मन बना लिया की बिना दर्शन करे मैं यहाँ से जाऊंगा नहीं उसे महादेव पर पूरा विश्वास था और यकीन था की महादेव कोई न कोई लीला अवश्य दिखाएंगे ऐसा सोच कर उसने वही मंदिर के बाहर रुकने का प्रण ले लिया।
महादेव के भक्त ने बिताए 6 माह मंदिर के पास
महादेव के भक्त भी बड़े विचित्र होते हैं वह महादेव के दर्शन किये बिना मानते ही नहीं। केदारनाथ की बर्फीली ठण्ड में वह शिव भक्त मंदिर के बाहर बैठा भगवान शिव का स्मरण कर रहा था। रात होते ही ठण्ड और बढ़ गयी और अब उस जगह पर किसी भी मनुष्य के लिए एक पल ठहरना भी कठिन था। लेकिन वह वही बैठा रहा। उसी दौरान उसने रात के अंधेरे में एक अघोरी बाबा को अपनी ओर आते हुए देखा वह अघोरी बाबा उसके पास आए उन्होंने उससे पूछा कि तुम इस वक्त यहाँ क्या कर रहे हो फिर उस शिव भक्त ने अघोरी बाबा को समस्त हाल कह सुनाया। अघोरी बाबा ने कहा कि तुम निराश मत हो, मंदिर के द्वार खुलेंगे और तुम भगवान शिव के दर्शन भी जरूर करोगे।
फिर उस अघोरी बाबा ने निर्धन शिव भक्त से कहा की तुम थक गए होंगे एक काम करो मेरे पास थोड़ा खाना है उसे खाकर आराम कर लो मैं आग जला देता हूँ। शिव भक्त सचमुच बहुत थक चूका था उसने खाना खाया और आग की गर्माहट के सामने उसको नींद लग गयी। दूसरी सुबह जब उसकी नींद खुली तो वह अघोरी बाबा वहाँ पर नहीं थे और बर्फ भी साफ़ हो चुकी थी ऐसा लग रहा था की जैसे सर्दियों का मौसम है ही नहीं। उसको आश्चर्य हुआ की केदारनाथ में तो लगातार 6 महीने बर्फ पड़ती है लेकिन अचानक यह क्या हो गया कुछ ही देर बाद उसने देखा की मंदिर के पुजारी जी अपने साथियों के साथ मंदिर की ओर चले आ रहे हैं।
जब अगले वर्ष भगवान के कपाट खुले
जब पुजारी जी मंदिर के पास पहुँचे तो शिव भक्त ने बड़ी जिज्ञासा से पुछा की क्या मंदिर के पट आज ही खुल जाएंगे, तो पुजारी जी ने कहा की हाँ आज 6 महीनों की सर्दियों के बाद मंदिर के पट खुलेंगे पुजारी जी पहले उस भक्त को पहचान नहीं पाए ऐसा सुनकर उस शिव भक्त ने कहा 6 महीने बाद लेकिन आप तो कल ही मंदिर के पट बंद करके गए थे। ऐसा सुनकर पुजारी जी ने अपने दिमाग पर जोर डाला और कहा की तुम तो वही हो ना जो 6 महीने पहले भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए आये थे लेकिन मंदिर के पट बंद होने के कारण दर्शन नहीं कर पाए थे। तब उस भक्त ने कहा की पुजारी जी मैं तो कल ही यहाँ आया था और रात में यहीं सोया था और आज आप आ गए 6 महीने कहाँ से हो गए। तब पुजारी जी को संदेह हुआ और उन्होंने उससे पुछा की बेटा रात में तुम्हारे साथ क्या हुआ था।
तब उस मासूम शिव भक्त ने पुजारी जी को सारी बात बताई की रात में मेरे पास एक बाबा आये। उन्होंने मुझे खाना दिया आग जलाई और मुझे आराम करने को कहा। पुजारी जी ने पूछा बेटा वह बाबा कैसे दिखते थे शिव भक्त ने कहा की एकदम अघोरियों की तरह लम्बें-लम्बें बाल हाथ में त्रिशूल और माथे पर त्रिपुर्ण था। बस इतना सुनकर पुजारी जी और उनके साथी उस शिव भक्त के चरणों में गिर गए और कहा की तुम धन्य हो तुम्हारे पास स्वयं महादेव आये थे और उन्होंने अपनी योग माया से तुम्हारे 6 महीनों को एक रात में परिवर्तित कर काल खंड को छोटा कर दिया यह सब तुम्हारी सच्ची भक्ति और श्रद्धा के कारण हुआ है इतने वर्षों से हममे से कोई भी भगवान शिव के दर्शन नहीं पा सके लेकिन तुम्हे भगवान शिव ने साक्षात दर्शन दिए हैं और तुम्हारी रक्षा भी की है।
दोस्तों यहीं कारण है की केदारनाथ को जागृत महादेव कहा जाता है। जो अपने भक्तों को बहुत ही जल्दी दर्शन देते हैं और उनके दर्शन करने आये लोगों की रक्षा भी करते हैं। मेरी हर सच्चे शिव भक्त से विनती है की इस लेख को सभी शिव भक्तों तक पहुँचाएँ ताकि वह शिव की लीला और महिमा को जान सके।
Source: dailynews9.in